धार्मिक तथा सामाजिक सुधार आन्दोलन
हिन्दू
सुधार आन्दोलन
राजा राम मोहन रॉय एवं ब्रह्म समाज
§ राजा राममोहन राय को भारतीय नवजागरण का अग्रदूत कहा जाता है। इनका जन्म 22 मई, 1772 को बंगाल के हुगली जिले मेँ स्थित राधानगर मेँ हुआ था।
§ राजा राममोहन राय पहले भारतीय थे जिन्होंने ने सर्वप्रथम भारतीय समाज मेँ व्याप्त धार्मिक और सामाजिक बुराइयोँ को दूर करने के लिए आंदोलन किया।
§ राजा राममोहन राय मानवतावादी थे, उनकी विश्व बंधुत्व में घोर आस्था थी। ये जीवन की स्वतंत्रता तथा संपत्ति ग्रहण करने के लिए प्राकृतिक अधिकारोँ के समर्थक थे।
§ राजा राम मोहन राय ने 1815 मेँ कलकत्ता मेँ आत्मीय
सभा की स्थापना करके हिंदू धर्म की बुराइयोँ पर प्रहार किया। राजा राममोहन
राय एकेश्वरवादी थे। उन्होंने इस संस्था के माध्यम से एकेश्वरवाद का प्रचार-प्रसार किया।
§ सन् 1828 मेँ राजा राम मोहन राय ने कोलकाता मेँ ब्रह्म सभा की नामक एक संस्था की स्थापना की जिसे बाद मेँ ब्रह्म समाज का नाम दे दिया गया।
§ राजा राममोहन राय ने अपने संगठन ब्रह्म समाज के माध्यम से हिंदू समाज मेँ व्याप्त सती-प्रथा, बहुपत्नी प्रथा, वेश्यागमन, जातिप्रथा आदि बुराइयोँ के विरोध मेँ संघर्ष किया।
§ विधवा पुनर्विवाह का इन्होने समर्थन किया।
§ ब्रह्म समाज ने जाति प्रथा पर प्रहार किया तथा स्त्री पुरुष समानता पर बल दिया।
§ धार्मिक क्षेत्र मेँ इन्होंने मूर्तिपूजा की आलोचना करते हुए अपने पक्ष को वेदोक्तियों के माध्यम से सिद्ध करने का प्रयास किया। इनका मुख्य उद्देश्य भारतीयों को वेदांत के सत्य का दर्शन कराना था।
§ राजा राम मोहन राय के विचारोँ से प्रभावित होकर देवेंद्र नाथ टैगोर ने 1843 मेँ ब्रह्म
समाज की सदस्यता ग्रहण की।
§ ब्रह्म समाज मेँ शामिल होने से पूर्व देवेंद्र नाथ टैगोर ने तत्वबोधिनी
सभा (1839) का गठन किया था।
§ 1857 मेँ केशव चंद्र सेन ब्रह्म समाज के आचार्य नियुक्त किये गए।
§ केशव चंद्र सेन के प्रयत्नोँ से ब्रह्म समाज ने एक अखिल भारतीय आंदोलन का रुप ले लिया।
§ राजा राम मोहन राय ने संवाद कौमुदी और मिरात उल अखबारप्रकाशित कर भारत मेँ पत्रकारिता की नींव डाली।
§ संवाद कौमुदी शायद भारतीयों द्वारा संपादित, प्रकाशित तथा संकलित प्रथम भारतीय समाज-पत्र था।
§ राजा राम मोहन राय ने ईसाई धर्म का अध्ययन करके इसाई धर्म पर एक पुस्तक की रचना की, जिसका नाम प्रिसेप्ट ऑफ जीजस था।
§ राजा राम मोहन राय ने अनेक भाषाओं, अरबी, फारसी, संस्कृत जैसी प्राचीन भाषाएँ तथा अंग्रेजी, फ्रांसीसी, लैटिन, यूनानी आदि पाश्चात्य भाषाओं के ज्ञाता थे।
§ राजा राम मोहन राय ने शिक्षा के क्षेत्र मेँ भी कार्य किया। इन्होंने 1825 मेँ वेदांत
कॉलेज की स्थापना की। कलकत्ता मेँ डेविड हैयर द्वारा हिंदू कॉलेज की स्थापना मेँ भी राजा राममोहन राय ने सहयोग किया।
§ राजा राममोहन राय ने धर्म, समाज, शिक्षा, आदि के क्षेत्र मेँ सुधार के साथ ही राजनीतिक जागरण का भी प्रयास किया। उनका कहना था कि स्वतंत्रता मनुष्य का अमूल्य धन है। वे व्यक्तिगत स्वतंत्रता के साथ राजनीतिक स्वतंत्रता के भी हिमायती थे।
§ बंगाली बुद्धिजीवियो मेँ राजा राम मोहन राय और उनके अनुयायी ऐसे पहले बुद्धिवादी थे, जिन्होंने पाश्चात्य संस्कृति का अध्ययन करते हुए उसके बुद्धिवादी एवम प्रजातांत्रिक सिद्धांतों, धारणाओं और भावनाओं को आत्मसात किया।
§ राजा राममोहन राय की मृत्यु के बाद 1865 मेँ वैचारिक मतभेद के कारण ब्रह्म समाज मेँ विभाजन हो गया। देवेंद्र नाथ का गुट आदि धर्म समाज और केशव चंद्र का गुट भारतीय ब्रह्म समाज कहलाया।
§ ब्रह्म समाज मेँ विभाजन से पूर्व केशव चंद्र सेन ने संगत सभा की स्थापना आध्यात्मिक तथा सामाजिक समस्याओं पर विचार करने के लिए की।
§ आचार्य केशव चंद्र सेन के प्रयासो से मद्रास मेँ वेद समाज की स्थापना हुई। 1871 मेँ वेद समाज दक्षिण के ब्रह्म समाज के रुप मेँ अस्तित्व मेँ आया।
§ भारतीय ब्राहमण समाज मेँ फूट पैदा हो गई, जिसके फलस्वरुप 1878 मेँ साधारण ब्रह्म समाज की स्थापना हुई। इस संस्था की स्थापना का उद्देश्य जाति प्रथा तथा मूर्ति पूजा का विरोध तथा नारी मुक्ति का समर्थन करना था।
§ साधारण ब्रह्म समाज के अंग्रेजी सदस्योँ मेँ शिवनाथ शास्त्री, विपिनचंद्र पाल, द्वारिका नाथ गांगुली और आनंद मोहन बोस शामिल थे।
§ आचार्य केशव चंद्र ने ब्रह्म विवाह अधिनियम का उल्लंघन करते हुए अपनी अल्प आयु पुत्री का विवाह कूच बिहार के राजा से कर दिया भारतीय ब्रह्म समाज मेँ विभाजन का कारण यही था।
केशव चंद्र सेन और
प्रार्थना समाज
§ केशव चंद्र की प्रेरणा से मुंबई मेँ 1867 मेँ आत्माराम
पांडुरंग ने प्रार्थना समाज की स्थापना की। इस संस्था की स्थापना मेँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अन्य लोगो मे महादेव गोविंद रानाडे और आर. जी. भंडारकर थे। एजुराइज़ कैरियर कोचिंग शाहगंज
§ महादेव गोविंद रानाडे
को पश्चिमी
भारत मेँ सांस्कृतिक पुनर्जागरणका अग्रदूत कहा जाता है।
§ प्रार्थना समाज ने बाल विवाह, विधवा विवाह का निषेध, जातिगत संकीर्णता के आधार पर सजातीय विवाह, स्त्रियोँ की उपेक्षा, विदेशी यात्रा का निषेध किया।
§ केशव चंद्र सेन के सहयोग से रानाडे ने 1867 मेँ विधवा आश्रम संघ की स्थापना की।
§ महादेव गोविंद रानाडे ने एक आस्तिक धर्म मेँ आस्था नामक पुस्तक की रचना की।
दयानंद सरस्वती और आर्य समाज
·
आर्य
समाज के संस्थापक दयानंद
सरस्वती थे, इन्होंने 1875 मेँ
बंबई मेँ आर्य समाज की
स्थापना की।
·
तथा
वैदिक समाज से
बहुत प्रभावित ये
एक ईश्वर मेँ
विश्वास करते थे मूर्तिपूजा पुरोहितवाद तथा
कर्मकांडोँ का विरोध करते
थे इसलिए उनहोने वेदो की और लौटो का नारा दिया।
·
दयानंद
सरस्वती ने जाति व्यवस्था, बाल
विवाह, समुद्री यात्रा
निषेध के विरुद्ध आवाज
बुलंद की तथा
स्त्री शिक्षा, विधवा
विवाह आदि को
प्रोत्साहित किया।
·
स्वामी
दयानंद ने शुद्धि आंदोलन चलाया।
इस आंदोलन ने
उन लोगोँ के
लिए हिंदू धर्म
के दरवाजे खोल
दिए जिन्होंने हिंदू
धर्म का परित्याग कर
दूसरे धर्मों को
अपना लिया था।
·
स्वामी
दयानंद ने अनेक
पुस्तको की रचना की,
किंतु सत्यार्थ
प्रकाश और पाखंड खंडन उन
की महत्वपूर्ण रचनाएँ
हैं।
·
आर्य
समाज की स्थापना का
मूल उद्देश्य देश
मेँ व्याप्त धार्मिक और
सामाजिक बुराइयोँ को दूर कर
वैदिक धर्म की
पुनः स्थापना कर
भारत को सामाजिक, धार्मिक व
राजनीतिक रुप से एक
सूत्र मेँ बांधना
था।
·
स्वामी
दयानंद ने शूद्रों तथा
स्त्रियोँ को वेद पढ़ने,
ऊँची शिक्षा प्राप्त करने
तथा यज्ञोपवीत धारण
करने के पक्ष
मेँ आंदोलन किया।
·
वेलेंटाइन शिरोल
ने अपनी पुस्तक
इंडियन अनरेस्ट मेँ
आर्य समाज को
भारतीय अशांति का
जन्मदाता कहा है।
·
आर्य
समाज के प्रचार-प्रसार का मुख्य
केंद्र पंजाब रहा
है। उत्तर प्रदेश,
गुजरात और राजस्थान मेँ
भी इस आंदोलन
को कुछ सफलता
मिली।
·
स्वामी
दयानंद की मृत्यु
के बाद आर्य
समाज दो गुटोँ
मेँ बंट गया,
जिसमे एक गुट
पाश्चात्य शिक्षा का विरोधी
तथा दूसरा पाश्चात्य शिक्षा
का समर्थन करता
था।
·
पाश्चात्य शिक्षा
के विरोधी आर्य
समाजियों मेँ श्रद्धानंद, लेखराज
और मुंशी राम
प्रमुख थे, जिन्होंने 1902 मेँ
हरिद्वार मेँ गुरुकुल की
स्थापना की।
·
पाश्चात्य शिक्षा
के समर्थन मेँ
हंसराज और लाला
लाजपत राय थे।
इन्होंने दयानंद
एंग्लो-वैदिक कॉलेज की
स्थापना की। भारत मेँ
डी.ए.वी.
स्कूलों और कॉलेजों की
स्थापना की नींव भी
आर्य समाज के
इसी गुट ने
रखी।
स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण मिशन
·
स्वामी
विवेकानंद ने रामकृष्ण
मिशन की स्थापना 1897 में अपने
गुरु रामकृष्ण परमहंस
की स्मृति मेँ
की थी।
·
राम
कृष्ण परम हंस
कलकत्ता के दक्षिणेश्वर स्थित
काली मंदिर के
पुजारी थे, जिंहोने चिंतन,
सन्यास और भक्ति
के परंपरागत तरीको
मेँ धार्मिक मुक्ति
प्राप्त करने का प्रयास
किया।
·
राम
कृष्ण मूर्ति
पूजा मेँ विश्वास रखते
थे और उसे
शाश्वत, सर्वशक्तिमान ईश्वर
को प्राप्त करने
का साधन मानते
थे।
·
1886 मेँ
रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु
के बाद विवेकानंद ने
अपने गुरु संदेशों प्रचार-प्रसार का उत्तरदायित्व संभाला।
·
विवेकानंद के
बचपन का नाम
नरेंद्र था। इनका जन्म
बंगाल के एक
कायस्थ परिवार मेँ
हुआ था।
·
सितंबर,
1893 मेँ
अमेरिका के शिकागो मेँ
आयोजित विश्व धर्म
सम्मेलन मेँ विवेकानंद ने
भारत का नेतृत्व किया।
·
विवेकानंद ने
कहा था, “ मैं
ऐसे धर्म को
नहीं मानता जो
विधवाओं आंसू नहीं पोंछ
सके या किसी
अनाथ को एक
टुकड़ा रोटी भी
ना दे सके।“
·
भारत
मेँ व्याप्त धार्मिक अंधविश्वास के
बारे मेँ स्वामी
जी ने अपने
विचार इस प्रकार
अभिव्यक्त किये, “हमारा धर्म
रसोईघर मेँ है,
हमारा ईश्वर खाना
बनाने के बर्तन
मेँ है, और
हमारा धर्म है
मुझे मत छुओ
मैं पवित्र हूँ,
यदि एक शताब्दी तक
यह सब चलता
रहा तो हम
सब पागलखाने मेँ
होंगे।“
·
सुभाष
चंद्र बोस ने
स्वामी विवेकानंद को
आधुनिक राष्ट्रीय आंदोलन
का आध्यात्मिक पिता
कहा था।
·
विवेकानंद ने
कोई राजनीतिक संदेश
नहीँ दिया था।
परंतु फिर भी
उनहोने अपने लेखों
तथा भाषणों के
द्वारा नई पीढ़ी
मेँ राष्ट्रीयता और
आत्मगौरव की भावना का
संचार किया।
·
वलेंटाइन शिरोल
ने विवेकानंद के
उद्देश्योँ को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
का एक प्रमुख
कारण माना।
एनी बेसेंट और थियोसोफिकल सोसाइटी
§ थियोसोफिकल सोसाइटी की स्थापना 1875 मेँ मैडम एच. पी. ब्लावेट्स्की और हेनरी स्टील आलकॅाट द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका मेँ की गई थी।
§ इस सोसाइटी ने हिंदू धर्म को विश्व का सर्वाधिक गूढ़ एवं आध्यात्मिक धर्म माना।
§ 1882 मेँ मद्रास के समीप अड्यार में थियोसोफिकल सोसाइटी का अंतर्राष्ट्रीय कार्यालय स्थापित किया गया।
§ भारत मेँ इस आंदोलन को सफल बनाने का श्रेय एक आयरिश महिला श्रीमती एनी बेसेंट को दिया गया, जो 1893 मेँ भारत आयी और इस संस्था के उद्देश्योँ के प्रचार-प्रसार मेँ लग गयी।
§ एनी बेसेंट ने बनारस मेँ 1898 मेँ सेंट्रल हिंदू कॉलेज की स्थापना की जो, 1916 मेँ पंडित मदन मोहन मालवीय के प्रयासो से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
मेँ परिणित हो गया।
प्रमुख
धार्मिक संस्थाएँ
और आंदोलन
§ शिवदयाल साहिब ने 1861 मेँ आगरा मेँ राधा स्वामी आंदोलन चलाया।
§ 1887 मेँ शिव नारायण अग्निहोत्री ने लाहौर मेँ देव समाज की स्थापना की।
§ भारतीय सेवा समाज की स्थापना 1851 मेँ समाज सुधार के उद्देश्य से गोपाल कृष्ण गोखले ने की।
§ रहनुमाई मजदयासन सभा की स्थापना 1851 मेँ नौरोजी जी फरदाने जी, दादाभाई नैरोजी तथा एस.एस. बंगाली ने की। इस संस्था राफ्त गोफ्तार नाम की एक पत्रिका का प्रकाशन भी किया।
§ ज्योतिबा फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की तथा गुलामगीरी नाम की एक पुस्तक की रचना भी की।
एजुराइज़ कैरियर कोचिंग शाहगंज
§ श्री नारायण गुरु के नेतृत्व मेँ केरल के बायकोम मंदिर मेँ अछूतों के प्रवेश हेतु एक आंदोलन हुआ था।
§ सी. एन. मुदलियार ने दक्षिण भारत मेँ 1915-16 मेँ जस्टिस पार्टी की स्थापना की।
§ ई.वी. रामास्वामी नायकर ने दक्षिण भारत मेँ 1920 मे आत्मसम्मान आंदोलन चलाया।
§ बी.आर.अम्बेडकर ने 1924 में अखिल भारतीय दलित वर्ग की स्थापना की तथा 1927 में बहिष्कृत भारत नामक एक पत्रिका का प्रकाशन किया।
§ भारत मेँ महिलाओं के उन्नति के लिए 1917 में श्रीमती एनी बेसेंट ने मद्रास मेँ भारतीय महिला संघ की स्थापना की।
§ महात्मा गांधी ने छुआछूत के विरोध के लिए 1932 मेँ हरिजन सेवक संघ की स्थापना की।
§ अखिल भारतीय अनुसूचित जाति संघ की स्थापना बी. आर. अंबेडकर ने 1942 मेँ की।
मुस्लिम
सुधार आंदोलन
अहमदिया आंदोलन
§ अहमदिया आंदोलन का आरंभ 1889-90 मेँ मिर्जा गुलाम अहमद ने फरीदकोट मेँ किया।
§ गुलाम अहमद हिंदू सुधार आंदोलन, थियोसोफी और पश्चिमी उदारवादी दृष्टिकोण से प्रभावित तथा सभी धर्मोँ पर आधारित एक अंतर्राष्ट्रीय धर्म की स्थापना की कल्पना करते थे।
§ अहमदिया आंदोलन का उद्देश्य मुसलमानोँ मेँ आधुनिक बौद्धिक विकास का प्रचार करना था।
§ मिर्जा गुलाम अहमद ने हिंदू देवता कृष्ण और ईसा मसीह का अवतार होने का दावा किया।
अलीगढ आंदोलन
§ सर सैय्यद अहमद द्वारा चलाए गए आंदोलन को अलीगढ आंदोलन के नाम से जाना जाता है।
§ सर सैय्यद अहमद मुसलमानोँ मेँ आधुनिक शिक्षा का प्रसार करना चाहते थे।
§ इसके लिए उन्होंने 1865 मेँ अलीगढ मेँ मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की, जो 1890 मेँ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय
बन गया।
§ अलीगढ आंदोलन ने मुसलमानोँ मेँ आधुनिक शिक्षा का प्रसार किया तथा कुरान की उदार व्याख्या की।
§ इस आंदोलन के माध्यम से सर सैय्यद अहमद ने मुस्लिम समाज मेँ व्याप्त कुरीतियोँ को दूर करने का प्रयास किया।
देवबंद आन्दोलन
§ यह रुढ़िवादी मुस्लिम नेताओं द्वारा चलाया गया आंदोलन था, जिसका उद्देश्य विदेशी शासन का विरोध तथा मुसलमानोँ मेँ कुरान की शिक्षाओं का प्रचार करना था।
§ मोहम्मद कासिम ननौतवी तथा रशीद अहमद गंगोही ने 1867 मेँ उत्तर प्रदेश के सहारनपुर मेँ इस आंदोलन की स्थापना की।
§ यह अलीगढ़ आंदोलन का विरोधी था। देवबंद आंदोलन के नेताओं मेँ शिमली नुमानी, फारसी और अरबी के प्रसिद्ध विद्वान व लेखक थे।
§ शिबली नुमानी ने लखनऊ मेँ नदवतल उलेमा तथा दार-उल-उलूम की स्थापना की।
§ देवबंद के नेता भारत मेँ अंग्रेजी शासन के विरोधी थे। यह आंदोलन पाश्चात्य और अंग्रेजी शिक्षा का भी विरोध करता था।
सिख सुधार आंदोलन
§ हिंदू और मुसलमानोँ की तरह सिक्खोँ मेँ भी सुधार आंदोलन हुए। सिक्खोँ के प्रबुद्ध लोगोँ पर पश्चिम के विकासशील और तर्कसंगत विचारोँ का प्रभाव पड़ा।
§ 19 वीँ सदी मेँ सिक्खोँ की संस्था सरीन सभा की स्थापना हुई।
§ पंजाब का कूका आंदोलन सामाजिक एवं धार्मिक सुधारो से संबंधित था।
§ जवाहर मल और रामसिंह ने कूका आंदोलन का नेतृत्व किया।
§ अमृतसर मेँ सिंह सभा आंदोलन चलाया गया।
§ अकाली अन्दिलन द्वारा 1921 में गुरुद्वारों के महंतों के विरुद्ध अहिंसात्मक अन्दिलन का सूत्रपात हुआ। इस आंदोलन के परिणाम स्वरुप 1922 मेँ सिख गुरुद्वारा अधिनियम पारित किया गया, जो आज तक कार्यरत है।
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