Monday, June 24, 2019

CTET 2019 महत्वपूर्ण प्रश्न।

CTET 2019 के लिए महत्वूर्ण प्रश्न अथवा उनके उत्तर कुछ इस प्रकार हैं -

प्रश्न I: इनमे से कौन सा कारक अधिगम को अभिप्रेरित करने वाला है?

(1) बाह्य कारक

(2) विफलता से बचने के लिए प्रेरणा

(3) लक्ष्यों को प्राप्त करने पर व्यक्तिगत संतुष्टि

(4) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (3)



प्रश्न II:. वाइगोत्सकी ने बच्चों के अधिगम में निम्नलिखित कारकों में से किसी एक की भूमिका के महत्व पर सबसे ज़्यादा जोर दिया है?

(1) सामाजिक

(2) वंशानुगत

(3) मानसिक

(4) शारीरिक


उत्तर: (1)


प्रश्न III:

बुद्धि-लब्धि परीक्षण में 16 साल के एक बच्चे का स्कोर 75 है, उसकी मानसिक आयु कितनी होगी?

(1) 6 वर्ष

(2) 8 वर्ष

(3) 10 वर्ष

(4) 12 वर्ष

उत्तर: (4)

प्रश्न IV: निम्नलिखित में से कौन सा विकल्प विद्यालय आधारित मूल्यांकन के आधार पर सही है?

(1) राष्ट्रीय मानकों को प्राप्त करने में बाधक है।

(2) सभी विद्यार्थियों को निदान के माध्यम से और अधिक जानने में मदद करता है।

(3) शिक्षा बोर्डों की जवाबदेही कम कर देता है।

(4) उपर्युक्त में से कोई नहीं|


उत्तर: (2)

CTET 2019: सिलेबस अथवा एग्ज़ाम पैटर्न (पेपर I & पेपर II)

प्रश्न V:

'बच्चे कैसे सीख सकते हैं?" निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प इस संबंध में सत्य नहीं है?

(1) बच्चे कई तरीकों से सीख सकते हैं।

(2) बच्चे केवल कक्षा में ही सीख सकते हैं।

(3) बच्चे सीखने के लिए स्वाभाविक रूप से प्रेरित होते हैं।

(4) बच्चे तब सीखते हैं, जब वे संज्ञानात्मक रूप से तैयार होते हैं।

उत्तर: (2)

प्रश्न VI: निम्नलिखित में से कौन-सा सूक्ष्म गतिक कौशल का उदाहरण है?

(1) कूदना

(2) लिखना

(3) दौड़ना

(4) चढ़ना


उत्तर: (2)

प्रश्न VII:

5. किसने सबसे पहले बुद्धि परीक्षण का निर्माण किया?

(1) डेविड वैश्लर

(2) चार्ल्स डार्विन

(3) रॉबर्ट स्टर्नबर्ग

(4) अल्फ्रेड बिने

उत्तर: (4)

प्रश्न VIII: एक विकलांग बच्चा पहली बार विद्यालय आता है, तो एक शिक्षक को निम्नलिखित में से क्या करना चाहिए?

(1) उसकी विकलांगता के अनुसार उसे एक विशेष स्कूल में भेजना चाहिए।

(2) अन्य छात्रों से उसे दूर रखना चाहिए।

(3) सबसे पहले एक प्रवेश परीक्षा का संचालन करना चाहिए।

(4) सहयोगी योजना विकसित करने के लिए बच्चे के अभिभावकों के साथ चर्चा करनी चाहिए।

उत्तर: (4)

प्रश्न IX: दो शिक्षार्थी भाषा सीख रहे हैं, एक शिक्षार्थी जो अपनी मातृभाषा सीख रहा है और दूसरा शिक्षार्थी उसी भाषा को दूसरी भाषा के रूप में सीखता है। दोनों किस प्रकार की गलतियाँ समान रूप से कर सकते हैं?

(1) अति सामान्यीकरण

(2) विकासात्मक

(3) सरलीकरण

(4) उपर्युक्त (1), (2), और (3) में से कोई नहीं

उत्तर: (2)

प्रश्न X: निम्नलिखित विकल्पों में से कौन सा विकल्प एक बच्चे की सामाजिक मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं से संबंधित नहीं है?

(1) संगति की आवश्यकता

(2) प्रशंसा या सामाजिक अनुमोदन की आवश्यकता

(3) भावनात्मक सुरक्षा की आवश्यकता

(4) नियमित रूप से शरीर से अपशिष्ट पदार्थों का बाहर निकलना

उत्तर: (4)

Sunday, June 23, 2019

पर्यावरण शिक्षण विधियाँ Part-1

पर्यावरण शिक्षण विधियां।

1.  प्रेक्षण विधि  (observation method)

मनुष्य हमेशा अपने चारों और होने वाली भौतिक एवं सामाजिक घटनाओं को लगातार देखते हैं।  यह परीक्षण की प्रक्रिया ही थी जिसने संसार को कुछ महान वैज्ञानिक दिए।
N.C.E.R. T द्वारा प्रकाशित पर्यावरण की पुस्तकों का शीर्षक आसपास देखना काफी उपयुक्त है।  यह इस तरफ इशारा करता है कि पर्यावरण अध्ययन आसपास के संसार को प्रेक्षण, खोज को खोजने से संबंधित है।
शिक्षण अधिगम उद्देश्यों की प्राप्ति बहुत हद तक शिक्षण अधिगम के उपयोग पर ही आधारित होती है।  इस प्रकार शिक्षण विधियां कक्षा में हो रही क्रियाओं की विधियां ही है।
प्रत्येक विधि की अपनी अपनी उपयोगिता एवं सीमाएं है।



( पर्यावरण अध्ययन में) प्रेक्षण विधि के उदाहरण

(1)  जीवन का वृक्ष

उद्देश्य-  बच्चों को इस बात से अवगत कराना कि पेड़ एक भरपूर एवं जटिल जीवन जीते हैं।

विधि-  प्रत्येक बच्चे से कहें कि वह अपने लिए एक पेड़ चुने तथा उसका भली-भांति प्रेक्षण करें।

(2) बादल

उद्देश्य-  आकाश में बादलों की आकृतियों का प्रेक्षण करना।

विधि-  जिस दिन आकाश में बादल घिर आए, बच्चों को बाहर ले जाओ तथा बादल देखने को कहो।

शिक्षण अधिगम की उचित विधि का चयन करना

शिक्षण अधिगम की उचित विधि का चयन दो मुख्य घटकों पर आधारित होता है जो  निम्नलिखित है।

1. कक्षा में  पढ़ाई जाने वाली विषय वस्तु की प्रकृति।

2.  दूसरा मुख्य घटक है जो, आपको ध्यान रखना है।  आपको विद्यार्थी की वरीय अधिगम शैली, सभी शिक्षार्थियों की बौद्धिक योग्यता एविन होती है।  अलग-अलग प्रकार से सोचते वा सीखते हैं।

किसी एक ही शिक्षण विधि पर जोर ना दे।

प्रेक्षण विधि का उपयोग कराना

(1)  प्रेक्षण के लिए योजना बनाना

” प्रेक्षण” के माध्यम से किस प्रकार की स्थितियां, क्रियाएं या पर्यावरण से जुड़े हुए विश्लेषकों का निर्धारण करता है।

(2)  वास्तविक परीक्षण

उद्देश्य तथा संसाधनों की उपलब्धि एवं पर्यावरणीय परिस्थितियों पर आधारित परीक्षण हेतु सभी को एवं तकनीक का प्रयोग करना।

(3) विश्लेषण एवं व्याख्या

जो भी  प्रेक्षण करके रिकॉर्ड किया गया है।  उस का गहन विश्लेषण किया जाता है, ताकि आवश्यक व्याख्या की जा सके।

(4)परिणामों का  सामान्यकरण

व्याख्या तथा परिणाम देखने के बाद उन्हें  सामान्यकृत विचारों ,तथ्यों तथा नियमों को स्थापित करने के लिए प्रयोग किया जाता है।  प्रेक्षण करने के लिए साधन कार्य पत्र, सूचियां, चेक लिस्ट, रेटिंग स्केल, तथा अंक कांड होते हैं।




प्रेक्षण विधि की उपयोगिता-

बच्चों को अपना पर्यावरण खोजने के लिए प्रोत्साहित  करती है।
प्रेक्षण के कौशलों का विकास होता है।
इस विधि के माध्यम से बच्चों को देखने सोचने तथा कड़ियां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।
बच्चों में जिज्ञासा का विकास एवं संतुष्टि की प्राप्ति होती है।
इस विधि के माध्यम से प्राप्त ज्ञान वास्तविक वस्तुओं एवं स्थूल स्थितियों से प्राप्त होता है।
बच्चे समानताएं एवं विभिन्नताएं समझ पाते हैं।
2. कहानी विधि (Story method)

कहानी विधि के माध्यम से विद्यालयों में विस्तृत पाठ्यक्रम वाले विषयों का शिक्षण कराने के लिए यह विधि बहुत ही महत्वपूर्ण है इस विधि के माध्यम से छोटे बच्चों के शिक्षण को और अधिक प्रभावशाली बनाया जाता है।

कहानी का चुनाव- कहानी का चुनाव करने के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखना होता है।

(1)  कहानी विषय वस्तु पर आधारित होनी चाहिए।

(2)  कहानी बच्चों की मानसिक आयु के अनुकूल भी होनी चाहिए।

(3)  कहानी सुनते समय प्रयास करना चाहिए की कहानी छात्र के वास्तविक जीवन से जुड़ सके।

(4)  कम उम्र  के विद्यार्थियों के लिए जिस कहानी का चुनाव किया जाए, वह अत्यंत स्पष्ट तथा छोटे-छोटे बच्चों में होनी चाहिए।

(5) कहानी सुनाते समय शिक्षक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि घटना चित्र बालकों के मस्तिष्क पर अंकित हो जाए।

(6)  कहानी कहने के बाद कथानक से संबंधित प्रश्न करने चाहिए।
कहानी शिक्षण की विशेषताएं

छोटे स्तर के शिक्षण हेतु अधिक उपयोगी शिक्षण विधि है।   इस विधि मेंछात्रों का मनोरंजन अधिक होता है।
इस विधि में छात्रों का ध्यान केंद्रित रहता है।


Saturday, June 22, 2019

अपसारी और अभिसारी चिंतन CTET UPTET

अपसारी एवं अभिसारी चिंतन क्या है ?
अपसारी एवं अभिसारी चिंतन से संबंधित विचार गिल्फोर्ड ने सन 1956 में प्रस्तुत किये--
A.अपसारी चिंतन ( Divergent Thinking ) -
जब किसी व्यक्ति के सामने कोई समस्या रखी जाती है एवं उस समस्या के समाधान के लिए वो व्यक्ति अपनी कल्पनाशक्ति एवं सृजनत्मकता का प्रयोग करता है तथा उस समस्या के समाधान के रूप में एक से अधिक हल प्रस्तुत करता है तो इस प्रकार के चिंतन को अपसारी चिंतन कहते हैं।
उदाहरण - जब कक्षा में एक शिक्षक किसी विद्यार्थी से प्रश्न करता है कि यदि तुम्हारे पंख लगे होते तो तुम क्या करते ??
इस प्रश्न का कोई सटीक उत्तर नहीं है अतः ऐसी स्थिति में बालक इसके बारे में कल्पना करेगा और फिर अपने विचार कुछ इस तरह से प्रस्तुत करेगा---
1. मुझे घूमना बहुत पसंद है अगर मेरे पंख होते तो मैं पूरी दुनियां को सैर करता।
2. मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त था अब वो विदेश पढ़ने चला गया, अगर मेरे पंख होते तो जब भी मेरा मन होता मैं उससे मिलने चला जाता ।
3. अगर मेरे पंख होते तो मैं आसमान में पक्षियों के साथ उड़ने की रेस लगाता।
अतः यहाँ पर बालक ने अपसारी चिंतन का प्रयोग कर के प्रश्न का उत्तर दिया है।
अपसारी चिंतन के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु--
1. इसके द्वारा खोजा गया समाधान मुक्त अंत ( Open Ended ) वाला होता है।
2. इसमे सृजनत्मकता को बढ़ावा दिया जाता है।
3.इसमें किसी समस्या के एक से अधिक हल होते हैं। जैसे कि उपरोक्त उदाहरण।
4. यह रूढ़िबद्ध नहीं है अर्थात किसी एक ही बिंदु पर केंद्रित होकर उसका समर्थन नहीं करता बल्कि उसका पूरा अवलोकन कर के एक से अधिक नतीजे प्रस्तुत करता है। जैसे उपरोक्त उदाहरण
5.इसमें लचीलापन है।
6. ये कल्पनाशीलता को बढ़ावा देता है।
7.ये एक प्रकार का पार्श्व चिंतन है।
अतः जिस चिंतन में उपरोक्त गुण दिखाई दें वहाँ पर अपसारी चिंतन होगा।
B. अभिसारी चिंतन ( Convergent thinking ) -
इसमें समस्या एक ही बिंदु पर केंद्रित होती है तथा समस्या का एक ही हल होता है।
उदाहरण -- जब शिक्षक बालक से प्रश्न करता है कि बताओ उत्तर प्रदेश की राजधानी क्या है??
तो बालक उत्तर देता है कि लखनऊ।
इस प्रश्न का उत्तर एक ही बिंदु पर केंद्रित है, की उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ही है, कोई और नहीं ।
अतः यहाँ पर बालक अभिसारी चिंतन का प्रयोग कर के प्रश्न का उत्तर देता है।
अभिसारी चिंतन के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु--
1.इसके द्वारा खोजा गया समाधान बन्द अंत ( Closed Ended ) होता है।
2. ये बुद्धि को बढ़ावा देता है या बुद्धि से सम्बंधित है।
3.इसमे गति होती है अर्थात इसे द्वारा शीघ्र समाधान प्रस्तुत किया जाता है।
4. इसके द्वारा खोजे गए समाधान अधिक शुद्ध होते हैं।
5.ये तथ्यों पर आधारित होता है।
6.ये ज्यादा प्रतिष्ठत होता है।
7. ये एक प्रकार का रैखिक चिंतन है।

जिस चिंतन में उपरोक्त गुण दिखाई दें वो अभिसारी चिंतन होगा।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम Right to Education Act in Hindi


शिक्षा का अधिकार अधिनियम |
 Right to Education Act in Hindi!
शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने संबंधी कानून के लागू होने से स्वतंत्रता के : दशक पश्चात् बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का सपना साकार हुआ है यह कानून 1 अप्रैल, 2010 से लागू हो गया इसे बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 नाम दिया गया है
इस अधिनियम के लागू होने से 6 से 14 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को अपने नजदीकी विद्यालय में निःशुल्क तथा अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा पाने का कानूनी अधिकार मिल गया है इस अधिनियम की खास बात यह है कि गरीब परिवार के वे बच्चे, जो प्राथमिक शिक्षा से वंचित हैं, के लिए निजी विद्यालयों में 25 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान रखा गया है
राइट-दू-इजुकेशन एक्ट लागू होने के अवसर पर प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि भारत नौजवानों का देश है, बच्चों और नौजवानों को उनकी शिक्षा और उनके विशिष्ट गुणों का परिमार्जन करके देश को खुशहाल और शक्तिशाली बनाया जाएगा
शिक्षा के अधिकार के साथ बच्चों एवं युवाओं का विकास होता है तथा राष्ट्र शक्तिशाली एवं समृद्ध बनता है यह उत्तरदायी एवं सक्रिय नागरिक बनाने में भी सहायक है इसमें देश के सभी लोगों, अभिभावकों एवं शिक्षकों का भी सहयोग आवश्यक है
शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने से 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को तो स्कूल फीस देनी होगी, ही यूनिफार्म, बुक, ट्रांसपोर्टेशन या मीड-डे मील जैसी चीजों पर ही खर्च करना होगा बच्चों को तो अगली क्लास में पहुँचने से रोका जाएगा, निकाला जाएगा ही उनके लिए बोर्ड परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा
कोई स्कूल बच्चों को प्रवेश देने से इंकार नहीं कर सकेगा हर 60 बच्चों को पढ़ाने के लिए कम से कम दो प्रशिक्षित अध्यापक होंगे जिन स्कूलों में संसाधन नहीं हैं, उन्हें तीन साल के अंदर सुधारा जाएगा साथ ही तीन किलोमीटर के क्षेत्र में एक विद्यालय स्थापित किया जाएगा इस कानून के लागू करने पर आने वाले खर्च केंद्र (55 प्रतिशत) और राज्य सरकार (45 प्रतिशत) मिलकर उठाएंगे
शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार का दर्जा देने के साथ ही इसे मूल कर्त्तव्यों में शामिल कर अभिभावकों का कर्त्तव्य बनाया गया है इस अधिनियम द्वारा राज्य सरकार, बच्चों के माता-पिता या संरक्षक सभी का दायित्व तय किया गया है तथा उल्लंघन करने पर अर्थदण्ड का भी प्रावधान है
तात्कालिक तौर पर सरकार का यह अधिनियम भारतीय राष्ट्र एवं समाज को एक विकसित एवं शिक्षित राष्ट्र के रूप में परिवर्तित करने का प्रयास जान पड़ता है इस अधिनियम को सही रूप से क्रियान्वित कर 2020 . तक भारत को एक knowledge society में रूपान्तरित किया जा सकता है यही हमारे पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का भी सपना है
बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित है:
प्राथमिक शिक्षा में प्रथम कक्षा से आठवीं कक्षा तक की शिक्षा शामिल है
a) अनिवार्य शिक्षा-सरकार का दायित्व है कि:
(i) 6 वर्ष से 14 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा उपलबध करवाए
(ii) 6 वर्ष से सा 4 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे का अनिवार्य प्रवेश, उपस्थिति शिक्षा की समाप्ति सुनिश्चित करे
b) निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार:
i. 6 वर्ष से ता 4 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को अपनी नजदीकी सरकारी विद्यालय में प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करने तक निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार होगा और इसके लिए उसे किसी प्रकार का शुल्क या अन्य खर्चे नहीं देने होंगे। (धारा 3)
ii. यदि 6 से 14 वर्ष आयु का कोई बच्चा किसी विद्यालय में प्रवेश होने के कारण प्राथमिक शिक्षा से वंचित है, तो उसे उसकी आयु के अनुसार उचित कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा और ऐसे बच्चे 14 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद भी प्राथमिक शिक्षा पूरी होने तक निःशुल्क शिक्षा पाने के अधिकारी होंगे (धारा 4)
c) सरकार स्थानीय-प्राधिकारी माता-पिता का कर्त्तव्य:
ADVERTISEMENTS:
i. इस अधिनियम के प्रावधानों के अग्रसरण में सरकार तथा स्थानीय प्राधिकारी अपने क्षेत्राधिकार के भीतर जहाँ विद्यालय नहीं है, इस अधिनियम के प्रभावी होने के तीन वर्ष के भीतर अपने क्षेत्राधिकार की सीमाओं में विद्यालय स्थापित करेंगे (धारा 6)
ii. केन्द्र सरकार:
() शैक्षिक प्राधिकारी की मदद से एक राष्ट्रीय ढाँचा विकसित करेगी, जो निम्नलिखित पर ध्यान देगी-
(a)बच्चों का बहुमुखी विकास
(b) संविधान में समाहित मूल्यों का विकास
 (c) अधिकतम स्तर पर मानसिक शारीरिक क्षमताओं का विकास
(d) बालकों को बालक केन्द्रित बालक मित्रवत् तरीके से गतिविधियों द्वारा सिखाना
(e) निर्देशों का माध्यम जहाँ तक हो सके बच्चों की मातृभाषा में होगा
(f) बच्चों को भयमुक्त बनाना और अपने विचार स्वतंत्रतापूर्वक व्यक्त करने में मदद करना
ADVERTISEMENTS:
(g) बच्चों की समझने की क्षमता का लगातार विश्लेषण और उसे उसकी सामर्थ्य पर लागू करना (धारा 29)
iii. समुचित राज्य सरकार
() प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध करवाएगी।
() नजदीक में स्कूल की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी
() यह भी सुनिश्चित करेगी कि गरीब वर्ग का कोई भी बालक किसी भी कारण से प्राथमिक शिक्षा से वंचित रहे
iv. स्थानीय प्राधिकारी
ADVERTISEMENTS:
() प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराएंगे
() अपने क्षेत्राधिकार में वर्ष तक के बच्चों का रिकॉर्ड रखेंगे
() अपने क्षेत्राधिकार में प्रत्येक बच्चे के प्राथमिक शिक्षा में प्रवेश, उपस्थिति
समाप्ति को सुनिश्चित करेंगे
() शैक्षणिक कैलेण्डर निर्धारित करेंगे (धारा 9)
v. माता-पिता या संरक्षक का दायित्व
() अपने बच्चों को नजदीकी विद्यालय में प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना (धारा 10)
() बच्चों को 6 वर्ष की आयु पूर्ण करने से पूर्व स्कूल (Pre-school) पूर्व शिक्षा
की आवश्यक व्यवस्था सरकार करेगी (धारा 11)
d) विद्यालय शिक्षकों का दायित्व
i. अधिनियम के उद्देश्यों के लिए विद्यालय-
()प्रवेश दिए गए सभी बच्चों को निःशुल्क अनिवार्य शिक्षा देंगे
()जिसमें 25 प्रतिशत कमजोर तथा वंचित वर्ग के बच्चे शामिल होंगे (धारा 12)
वर्तमान में सर्वशिक्षा अभियान के माध्यम से बच्चों की प्राथमिक शिक्षा की सर्वसुलभता की दिशा में तेजी आई है अब सिक्षा को मौलिक आधिकर के रूप में व्यावहारिक रूप से क्रियान्वित कर प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण की सम्भावनाएं और भी अधिक हो गई हैं
इस सम्बन्ध में यद्यपि इस सत्यता को भी नकारा जा सकता कि सरकार द्वारा शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने विषयक इस अधिनियम को पारित कराने की एक बड़ी चुनौती से तो निपट लिया गया है, लेकिन अब उसके समक्ष इससे भी बड़ी चुनौती उत्पन्न हो गई है और वह है-इस अधिनियम को समुचित रूप से क्रियान्वित करने के लिए वांछित धनराशि की व्यवस्था करना तथा समयबद्ध तरीकों से उसके भली-भाँति उपयोग को सुनिश्चित करते हुए निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करना
केन्द्र सरकार के साथ-साथ इस अधिनियम के समुचित रूप से क्रियान्वयन में राज्य सरकारों की भी अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी अत: राज्य सरकारों को भी विश्वास में लेकर उन्हें समुचित आर्थिक सहायता, परामर्श और मार्गदर्शन के लिए भी केन्द्र सरकार को विशेष पहल करनी होगी, तभी हम प्राथमिक शिक्षा को वास्तविक अर्थों में मौलिक अधिकार के रूप में प्रतिस्थापित होते हुए देख पाएंगे


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