पर्यावरण शिक्षण विधियां।
1. प्रेक्षण विधि (observation method)
मनुष्य हमेशा अपने चारों और होने वाली भौतिक एवं सामाजिक घटनाओं को लगातार देखते हैं। यह परीक्षण की प्रक्रिया ही थी जिसने संसार को कुछ महान वैज्ञानिक दिए।
N.C.E.R. T द्वारा प्रकाशित पर्यावरण की पुस्तकों का शीर्षक आसपास देखना काफी उपयुक्त है। यह इस तरफ इशारा करता है कि पर्यावरण अध्ययन आसपास के संसार को प्रेक्षण, खोज को खोजने से संबंधित है।
शिक्षण अधिगम उद्देश्यों की प्राप्ति बहुत हद तक शिक्षण अधिगम के उपयोग पर ही आधारित होती है। इस प्रकार शिक्षण विधियां कक्षा में हो रही क्रियाओं की विधियां ही है।
प्रत्येक विधि की अपनी अपनी उपयोगिता एवं सीमाएं है।
( पर्यावरण अध्ययन में) प्रेक्षण विधि के उदाहरण
(1) जीवन का वृक्ष
उद्देश्य- बच्चों को इस बात से अवगत कराना कि पेड़ एक भरपूर एवं जटिल जीवन जीते हैं।
विधि- प्रत्येक बच्चे से कहें कि वह अपने लिए एक पेड़ चुने तथा उसका भली-भांति प्रेक्षण करें।
(2) बादल
उद्देश्य- आकाश में बादलों की आकृतियों का प्रेक्षण करना।
विधि- जिस दिन आकाश में बादल घिर आए, बच्चों को बाहर ले जाओ तथा बादल देखने को कहो।
शिक्षण अधिगम की उचित विधि का चयन करना
शिक्षण अधिगम की उचित विधि का चयन दो मुख्य घटकों पर आधारित होता है जो निम्नलिखित है।
1. कक्षा में पढ़ाई जाने वाली विषय वस्तु की प्रकृति।
2. दूसरा मुख्य घटक है जो, आपको ध्यान रखना है। आपको विद्यार्थी की वरीय अधिगम शैली, सभी शिक्षार्थियों की बौद्धिक योग्यता एविन होती है। अलग-अलग प्रकार से सोचते वा सीखते हैं।
किसी एक ही शिक्षण विधि पर जोर ना दे।
प्रेक्षण विधि का उपयोग कराना
(1) प्रेक्षण के लिए योजना बनाना
” प्रेक्षण” के माध्यम से किस प्रकार की स्थितियां, क्रियाएं या पर्यावरण से जुड़े हुए विश्लेषकों का निर्धारण करता है।
(2) वास्तविक परीक्षण
उद्देश्य तथा संसाधनों की उपलब्धि एवं पर्यावरणीय परिस्थितियों पर आधारित परीक्षण हेतु सभी को एवं तकनीक का प्रयोग करना।
(3) विश्लेषण एवं व्याख्या
जो भी प्रेक्षण करके रिकॉर्ड किया गया है। उस का गहन विश्लेषण किया जाता है, ताकि आवश्यक व्याख्या की जा सके।
(4)परिणामों का सामान्यकरण
व्याख्या तथा परिणाम देखने के बाद उन्हें सामान्यकृत विचारों ,तथ्यों तथा नियमों को स्थापित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। प्रेक्षण करने के लिए साधन कार्य पत्र, सूचियां, चेक लिस्ट, रेटिंग स्केल, तथा अंक कांड होते हैं।
प्रेक्षण विधि की उपयोगिता-
बच्चों को अपना पर्यावरण खोजने के लिए प्रोत्साहित करती है।
प्रेक्षण के कौशलों का विकास होता है।
इस विधि के माध्यम से बच्चों को देखने सोचने तथा कड़ियां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।
बच्चों में जिज्ञासा का विकास एवं संतुष्टि की प्राप्ति होती है।
इस विधि के माध्यम से प्राप्त ज्ञान वास्तविक वस्तुओं एवं स्थूल स्थितियों से प्राप्त होता है।
बच्चे समानताएं एवं विभिन्नताएं समझ पाते हैं।
2. कहानी विधि (Story method)
कहानी विधि के माध्यम से विद्यालयों में विस्तृत पाठ्यक्रम वाले विषयों का शिक्षण कराने के लिए यह विधि बहुत ही महत्वपूर्ण है इस विधि के माध्यम से छोटे बच्चों के शिक्षण को और अधिक प्रभावशाली बनाया जाता है।
कहानी का चुनाव- कहानी का चुनाव करने के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखना होता है।
(1) कहानी विषय वस्तु पर आधारित होनी चाहिए।
(2) कहानी बच्चों की मानसिक आयु के अनुकूल भी होनी चाहिए।
(3) कहानी सुनते समय प्रयास करना चाहिए की कहानी छात्र के वास्तविक जीवन से जुड़ सके।
(4) कम उम्र के विद्यार्थियों के लिए जिस कहानी का चुनाव किया जाए, वह अत्यंत स्पष्ट तथा छोटे-छोटे बच्चों में होनी चाहिए।
(5) कहानी सुनाते समय शिक्षक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि घटना चित्र बालकों के मस्तिष्क पर अंकित हो जाए।
(6) कहानी कहने के बाद कथानक से संबंधित प्रश्न करने चाहिए।
कहानी शिक्षण की विशेषताएं
छोटे स्तर के शिक्षण हेतु अधिक उपयोगी शिक्षण विधि है। इस विधि मेंछात्रों का मनोरंजन अधिक होता है।
इस विधि में छात्रों का ध्यान केंद्रित रहता है।
1. प्रेक्षण विधि (observation method)
मनुष्य हमेशा अपने चारों और होने वाली भौतिक एवं सामाजिक घटनाओं को लगातार देखते हैं। यह परीक्षण की प्रक्रिया ही थी जिसने संसार को कुछ महान वैज्ञानिक दिए।
N.C.E.R. T द्वारा प्रकाशित पर्यावरण की पुस्तकों का शीर्षक आसपास देखना काफी उपयुक्त है। यह इस तरफ इशारा करता है कि पर्यावरण अध्ययन आसपास के संसार को प्रेक्षण, खोज को खोजने से संबंधित है।
शिक्षण अधिगम उद्देश्यों की प्राप्ति बहुत हद तक शिक्षण अधिगम के उपयोग पर ही आधारित होती है। इस प्रकार शिक्षण विधियां कक्षा में हो रही क्रियाओं की विधियां ही है।
प्रत्येक विधि की अपनी अपनी उपयोगिता एवं सीमाएं है।
( पर्यावरण अध्ययन में) प्रेक्षण विधि के उदाहरण
(1) जीवन का वृक्ष
उद्देश्य- बच्चों को इस बात से अवगत कराना कि पेड़ एक भरपूर एवं जटिल जीवन जीते हैं।
विधि- प्रत्येक बच्चे से कहें कि वह अपने लिए एक पेड़ चुने तथा उसका भली-भांति प्रेक्षण करें।
(2) बादल
उद्देश्य- आकाश में बादलों की आकृतियों का प्रेक्षण करना।
विधि- जिस दिन आकाश में बादल घिर आए, बच्चों को बाहर ले जाओ तथा बादल देखने को कहो।
शिक्षण अधिगम की उचित विधि का चयन करना
शिक्षण अधिगम की उचित विधि का चयन दो मुख्य घटकों पर आधारित होता है जो निम्नलिखित है।
1. कक्षा में पढ़ाई जाने वाली विषय वस्तु की प्रकृति।
2. दूसरा मुख्य घटक है जो, आपको ध्यान रखना है। आपको विद्यार्थी की वरीय अधिगम शैली, सभी शिक्षार्थियों की बौद्धिक योग्यता एविन होती है। अलग-अलग प्रकार से सोचते वा सीखते हैं।
किसी एक ही शिक्षण विधि पर जोर ना दे।
प्रेक्षण विधि का उपयोग कराना
(1) प्रेक्षण के लिए योजना बनाना
” प्रेक्षण” के माध्यम से किस प्रकार की स्थितियां, क्रियाएं या पर्यावरण से जुड़े हुए विश्लेषकों का निर्धारण करता है।
(2) वास्तविक परीक्षण
उद्देश्य तथा संसाधनों की उपलब्धि एवं पर्यावरणीय परिस्थितियों पर आधारित परीक्षण हेतु सभी को एवं तकनीक का प्रयोग करना।
(3) विश्लेषण एवं व्याख्या
जो भी प्रेक्षण करके रिकॉर्ड किया गया है। उस का गहन विश्लेषण किया जाता है, ताकि आवश्यक व्याख्या की जा सके।
(4)परिणामों का सामान्यकरण
व्याख्या तथा परिणाम देखने के बाद उन्हें सामान्यकृत विचारों ,तथ्यों तथा नियमों को स्थापित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। प्रेक्षण करने के लिए साधन कार्य पत्र, सूचियां, चेक लिस्ट, रेटिंग स्केल, तथा अंक कांड होते हैं।
प्रेक्षण विधि की उपयोगिता-
बच्चों को अपना पर्यावरण खोजने के लिए प्रोत्साहित करती है।
प्रेक्षण के कौशलों का विकास होता है।
इस विधि के माध्यम से बच्चों को देखने सोचने तथा कड़ियां स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।
बच्चों में जिज्ञासा का विकास एवं संतुष्टि की प्राप्ति होती है।
इस विधि के माध्यम से प्राप्त ज्ञान वास्तविक वस्तुओं एवं स्थूल स्थितियों से प्राप्त होता है।
बच्चे समानताएं एवं विभिन्नताएं समझ पाते हैं।
2. कहानी विधि (Story method)
कहानी विधि के माध्यम से विद्यालयों में विस्तृत पाठ्यक्रम वाले विषयों का शिक्षण कराने के लिए यह विधि बहुत ही महत्वपूर्ण है इस विधि के माध्यम से छोटे बच्चों के शिक्षण को और अधिक प्रभावशाली बनाया जाता है।
कहानी का चुनाव- कहानी का चुनाव करने के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखना होता है।
(1) कहानी विषय वस्तु पर आधारित होनी चाहिए।
(2) कहानी बच्चों की मानसिक आयु के अनुकूल भी होनी चाहिए।
(3) कहानी सुनते समय प्रयास करना चाहिए की कहानी छात्र के वास्तविक जीवन से जुड़ सके।
(4) कम उम्र के विद्यार्थियों के लिए जिस कहानी का चुनाव किया जाए, वह अत्यंत स्पष्ट तथा छोटे-छोटे बच्चों में होनी चाहिए।
(5) कहानी सुनाते समय शिक्षक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि घटना चित्र बालकों के मस्तिष्क पर अंकित हो जाए।
(6) कहानी कहने के बाद कथानक से संबंधित प्रश्न करने चाहिए।
कहानी शिक्षण की विशेषताएं
छोटे स्तर के शिक्षण हेतु अधिक उपयोगी शिक्षण विधि है। इस विधि मेंछात्रों का मनोरंजन अधिक होता है।
इस विधि में छात्रों का ध्यान केंद्रित रहता है।
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