सिंधु घाटी सभ्यता
सन् 1924 में सिंधु नदी पर मोहनजोदड़ो और पंजाब में हड़प्पा के खंडहरों में किए गए उत्खनन में एक अत्यंत विकसित शहरी सभ्यता के अवशेष मिले जिसे सिंधु घाटी या हड़प्पा सभ्यता kaha gya
7वीं शताब्दी में पहली बार जब लोगो ने पंजाब प्रान्त में ईंटो के लिए मिट्टी की खुदाई की तब उन्हें वहाँ से बनी बनाई ईंटें मिली जिसे लोगो ने भगवान का चमत्कार माना और उनका उपयोग घर बनाने में किया उसके बाद 1826 में चार्ल्स मैसेन ने पहली बार इस पुरानी सभ्यता को खोजा। कनिंघम ने 1856 में इस सभ्यता के बारे में सर्वेक्षण किया। 1856 में कराची से लाहौर के मध्य रेलवे लाइन के निर्माण के दौरान बर्टन बन्धुओं द्वारा हड़प्पा स्थल की सूचना सरकार को दी। इसी क्रम में 1861 में एलेक्जेण्डर कनिंघम के निर्देशन में भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना की गयी। 1902 में लार्ड कर्जन द्वारा जॉन मार्शल को भारतीय पुरातात्विक विभाग का महानिदेशक बनाया गया। फ्लीट ने इस पुरानी सभ्यता के बारे में एक लेख लिखा। 1921 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा का उत्खनन किया। इस प्रकार इस सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता रखा गया व राखलदास बेनर्जी को मोहनजोदड़ो का खोजकर्ता माना गया।
सिंधु घाटी सभ्यता के चरण
- प्रारंभिक हड़प्पाई सभ्यता (3300ई.पू.-2600ई.पू. तक)
- परिपक्व हड़प्पाई सभ्यता (2600ई.पू-1900ई.पू. तक)
- उत्तर हड़प्पाई सभ्यता (1900ई.पु.-1300ई.पू. तक)
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख नगर
- हड़प्पा (पंजाब पाकिस्तान)
- मोहेनजोदड़ो (सिन्ध पाकिस्तान लरकाना जिला)
- लोथल (गुजरात)
- कालीबंगा( राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में)
- बनवाली (हरियाणा के फतेहाबाद जनपद में)
- आलमगीरपुर( उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में)
- सूत कांगे डोर( पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में)
- कोट दीजी( सिन्ध पाकिस्तान)
- चन्हूदड़ो ( पाकिस्तान )
- सुरकोटदा (गुजरात के कच्छ जिले में)
हिन्दुकुश पर्वतमाला के पार अफगानिस्तान में
- शोर्तुगोयी – यहाँ से नहरों के प्रमाण मिले है
- मुन्दिगाक जो महत्वपूर्ण है
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